May 20th 2021
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. .श्रध्धा और सबुरी
ताः२०/५/२०२१ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
मानवदेहको सांइबाबाने शेरडीसे प्रेम दीया,जो मानवता महेंकाते है
कुदरतकीये लीला है अवनीपर,जो जन्म मीलनेसे देहको मीलती है
....जीवनमें श्रध्धा और सबुरीको समजनेसे,ना धर्मकी तकलीफ पडती है.
पावनकर्मनी राह पकडके जीनेसे,मानवदेहसे अनेकप्रेम मील जाता है
सांइबाबाने शेरडी आकर द्वारकामाईकी मददसे,पवित्रकर्मही कीया है
जीवको जन्ममीलनेसे देहमीलता है,येगतजन्मसे कीये कर्मसे मीलता है
हिंदु मुस्लीम धर्मनी नाकोइ अलगताहै,जो बाबाने मानवता समजाई है
....जीवनमें श्रध्धा और सबुरीको समजनेसे,ना धर्मकी तकलीफ पडती है.
अवनीपर जीवको देहमीले येक्रुपा है,ना इसमे कोइधर्मकी तकलीफ है
परमात्मापर श्रध्धारखे या सबुरीरखे,ये मळेलदेहपर पवित्रक्रुपा करते है
समयके साथ चलनेसे मानव जीवनमें,सत्कर्मका संगाथही मील जाता है
बाबाकी पवित्र क्रुपाहै अवनीपर,जो श्रध्धा शबुरीसे भक्तोको प्रेम देते है
....जीवनमें श्रध्धा और सबुरीको समजनेसे,ना धर्मकी तकलीफ पडती है.
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