May 11th 2017
. .दीलकी धडकन
ताः११/५/२०१७ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
जब याद तुम्हारी आती है,दीलकी धडकन बढ जाती है
जबसे प्यार तुम्हारा पाया है,तबसे प्रेमकीज्योत जलती है
.....लेकर तेरा प्यार मेरे दीलको,सुबह शाम भी मील जाती है.
पकड लीया जब हाथ तुम्हारा,तबसे प्रेम मील गया है मुझे
प्रेम नीखालस मील जानेसे,जींदगी झलकमलक हो जाती है
पावन राहकी उज्वळ केडी मीले,याद तुम्हारी आ जाती है
दीलकी धडकन निर्मलबनके,याद तुम्हारी दील धडकाती है
.....लेकर तेरा प्यार मेरे दीलको,सुबह शाम भी मील जाती है.
प्यार तुम्हारा निर्मल है दीलसे,जब मीलता खुशी दे जाता है
अंधकारकी नीली राहमें,तुम्हाराप्यार निखालस उजाला देताहै
मनमें ना रहेती कोइ अपेक्षा,ये ही तो निर्मळ प्रेमकी देन है
अंतरसे मिलता प्रेम निखालस,जो उज्वळ जीवनकी ज्योत है
.....लेकर तेरा प्यार मैने,दीलमें सुबह शाम भी हो जाती है.
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