गरीबकी दुआ.
गरीबकी दुआ.
२९/१/१९७९. प्रदीप ब्रह्मभट्ट
अमीरोकी नगरीमें, एक गरीब मांगने आया
हो सच्चे दीलसे प्यार,कर जाना दीलसे दान.
हम गरीब है, अनाथ है, है कोइ नहीं सहारा
देताजा हमको कोइदान उपरवालेने तुझकोदीया.
….हम गरीब है.
महेनतमजदुरी करतेकरते,हमहोगये बुढेबेजान
जीसकी किस्मतमें लीखानही पैसायाकोइप्यार
हम हाथ पसारे सामने, आये है तुम्हारे पास
पैसे या दो पैसे से, हम करते सबको प्रणाम.
….हम गरीब है.
होता नहीं हमसेकोइकाम,परकरने को हैतैयार
तुम्हारे ये दो बच्चे है,जो हाथ है मानवताके
करते रहे दुआए दीलसे,कुदरत जरुर सोचेगी
एक पाकर सो वो देगाही,अपने सच्चे अरमान.
….हम गरीब है.
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