नौजवान
नौजवान
१५/८/१९९७ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
वतन के नौजवान है,वतनपे मिटनेको चले
अपने हाथ है जहॉ, प्यारा वतन है वहॉ
वतन के नौजवान.
शान अपने साथ है,आन अपनी जान है
प्यारअपना धरम है,मरना अपनाकरम है
वतन के नौजवान.
लेके अपने हाथ मे,यार के भी हाथ को
‘दीप’बनेंगे हम सदा,ज्योत अपने साथ है
वतन के नौजवान.
देख लेना आज भी,देश अपनी शान है
मरना अपना काम है,वतन हमारे साथ है
वतन के नौजवान.
कौन जाने कल कहॉ,हमको है पता नही
याद अपनी एक है, आझादी की टेक है
वतन के नौजवान.
कलहो या आजहो,वतनपे अपनी जान दो
एक वादा अपना है,भारत हमारा अपना है
वतन के नौजवान.
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