दो नाम दे आराम
दो नाम दे आराम
ताः१६/११/२००८ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
जगमें पावन है दो नाम, जो मानव जीवनको दे आराम
रामराम स्मरण करके देखो, या कृष्ण मनमें रटते रहो
हो जाये जीवका उध्धार,नहीं जगमें है ओर कोइ आधार
……जगमें पावन है दो नाम
पावन जन्म जगमे होजाय, जीससे मीलता जीवको स्वर्ग
भक्तिभावसे रटते रहो,ओर दो दीलसे प्रेमका सबको दान
……जगमें पावन है दो नाम
मनका मेंल निकल जाये, जहां भक्ति प्रेमका हो सहवास
जगमें जीवन महेंका रहे, जहां धर्म कर्म दोनो बलवान
……जगमें पावन है दो नाम
मृत्यु जन्मका ना रहे बंधन,जब जीव प्रभुसे मील जाय
जीव जन्मसे तब मीले,जहां कर्मके बंधन लगेरहे अपार
…..जगमें पावन है दो नाम
राम नामके रटणसे जगमे, हो गया शबरीका कल्याण
कृष्ण कृष्णके स्मरण मात्रसे, मीरांका हो गया उध्धार
…..जगमें पावन है दो नाम
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