September 15th 2007

किशन कनैया

********* किशन कनैया
ताः२५/८/१९७८ (जन्माष्टमी) प्रदीप ब्रह्मभट्ट

कृष्ण कनैया,जीवन नैया, अपनी पार लगादो
दर्शन तेरे तरसे ये मन.(२)करदो पुरण आश
राधेश्याम,कृष्णकान,मुरलीधर गिरधारी रे…कृष्णकनैया.

भकतोके मन सुखदुःख तु है…(२)
अपने मनका राजा तु है…(२)
तेरी कृपासे,जगने जीवन,पाया मेरे प्राण…..राधेश्याम.

मनतो अर्पण,तन भी अर्पण..(२)
अर्पण सारा नश्वर जीवन…(२)
परलोकमें तु,इसलोकमे हम,दर्शन तेरे तरसे…राधेश्याम.

जगका जीवन,है पल दो पल..(२)
तुमसे नाता जन्मोजन्मका…(२)
ये तुट न पाये जीवननैया,डोले तुम बीन रे…राधेश्याम.

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सन १९७८में जन्माष्टमी के पवित्र तहेवारके दिन कृष्ण भगवानके चरणोमें
उपरोक्त काव्य समर्पित किया था……प्रदीपकुमार ब्रह्मभट्ट,आणंद.

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