निर्मळ प्रेम
. निर्मळ प्रेम ताः२५/११/२०१७ प्रदीप ब्रह्मभट्ट निर्मळ प्रेमकी ज्योत जीवनमें,मानवता महेंकाती है सुखदुःखकी नाकेडी स्पर्शे,उज्वळ जीवन दे जाती है ........येही प्रेमकी गाथा है,जो जीवनमे पावनकर्म कराती है. कर्मबंधन ये जीवको स्पर्शे,जो अनुभवसे समजाती है अजबलीला ये कुदरतकी है,जो जन्ममरण दे जाती है पावनकर्म मानवता महेंकाये,जीवनमें निर्मळप्रेम मिलजाये मीले कृपा परमात्माकी,जीवनकी ज्योतको प्रगटाती है ........येही प्रेमकी गाथा है,जो जीवनमे पावनकर्म कराती है. मनमें श्रध्धा और प्रेम निखालस,कलमकीकेडी देजाती है ज्योत प्रेमकी प्रगटनेसे,अनंत प्रेमकी वर्षा होजाती है मोहमाया ना स्पर्शे जीवनमें,उज्वळ जीवन वो कर जाती है निर्मळ जीवन येही कृपा है,जन्म सफल हो जाता है ........येही प्रेमकी गाथा है,जो जीवनमे पावनकर्म कराती है. ================================================