दील ये चाहे
दील ये चाहे
ताः२७/४/२००९ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
दीलसे मेरी चाहत है,प्यार मीले मुझे सबका
हर दीलमे में खो जाउ,येही मेरा एक सपना
……..दीलसे मेरी चाहत है.
अनजानी सी राहो पर, चल रहा आज अकेला
सोच समझ कर कदम चले,मीले मुझे सहारा
अपनापन महेसुस करुमें, ये ही सच्चा दामन
आकर मीले सच्चाप्यार,मीलजाये मुझे अपना
……..दीलसे मेरी चाहत है.
लेकर आया प्यार भरा दील,भीगी दो ये आंखे
मीले अपनी राहोपे चलते,कदम मीलाउ अपना
हाथ मीलाके साथ चाले,जीवन भर मील जाये
आये प्यारभरी राहोपे,देदे महेंक येही मेरासपना
……..दीलसे मेरी चाहत है.
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