जलासांइ दरबार
जलासांइ दरबार
ताः१७/५/२००९ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
भक्तिके ये राजमहलमें, दो संत है जगमे महान
करुणासागर अविनाशीकी, जहां कृपा हो अपरंपार.
……. भक्तिके ये राजमहलमें.
सागर जैसी भक्ति निराली, करुणा मीले अपार
डुब गये जब भक्तिभावमें,मीले स्वर्ग सा प्यार
उंचनीचका नाभेद कोइ,ना आमदामका वरताव
पहेचान जहां प्रेम भावकी,ना मागणी है लगार
……..भक्तिके ये राजमहलमें.
विरपुरके जलाबापाकी,भक्ति जगमें एक मिशाल
दान दिया विरबाइ माताका,भाग चले तारणहार
दीन हीनको राह दीखाई, दीया भक्तिका अणसार
मानवताकी महेंकसे कीया, जगमें जीवन महान
……. भक्तिके ये राजमहलमें.
शेरडीवाले सांइबाबाने,जगमे मानवताहै महेंकाइ
नातजातका भेदभरम,जो जगमें हिंसाको लेआइ
प्रेमभावना मानवमनमें जगाकेधृणाको दुरभगाइ
प्रेमके दरबारमें आके, भक्तिप्रीत जगमे है जगाइ
……. भक्तिके ये राजमहलमें.
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