April 17th 2007

श्री जलासांई जयजयकार

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                श्री जलासांई जयजयकार

श्रध्धा मेरी जलासाईमें ना ईसमे कोई हे भ्रम

लेकर माला रटण करु मै सफल हो मानव जन्म..श्रध्धा मेरी

जीवकी ज्योत समझ नापाये भटक रहा ये मन

आनबान के ये चक्करमें जीवन रहा ये जल….श्रध्धा मेरी

मिथ्या जीवन हो रहा हे ना मिले कोई चेन

श्रध्धा रखके मनको मनाले हो जायेगा आनंद…श्रध्धा मेरी

जलारामने ज्योत जलाई रामनामका किया रटन

सांईबाबाने प्रेम जगाया भक्तिका किया जतन….श्रध्धा मेरी

सुखमें राम दुःखमे राम कणकणमे हे बसे राम

सुमिरनतेरा सच्चा होतो पलपलहोगा तेरा सफल..श्रध्धा मेरी

ना शंका ना ओर कोई चिंता ना कोई हे भ्रम

जीवनरामसे मरणरामसे प्रदीपका जीवन हो सफल…श्रध्धा मेरी