दीलका प्यार
दीलका प्यार
ताः२०/१२/२००८ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
सरगमकी एक तालपे चलके हो जाओ तैयार
प्यार भरे दो लब्झ कहेके बन जाओ गुणवान
….ओ यारो ले जाओ दीलका प्यार
कोन है अपना कौन पराना समझे ना इन्सान
मनमेप्यार उभररहा है फीरभी बनजाये अन्जान
देख रहाहै जगये सारा ना कीसीकी कोइ पहेचान
करके जाता काम दीलसे कर जाता पुरे अरमान
….ओ यारो ले जाओ दीलका प्यार.
आनाजाना इस दुनीयामें छोडके जाते अपनेघरबार
ना कहे सकता कोइ जगमें जो आता है पलवार
देख रहा है उपरवाला ना जगमें कोइ देख पायाहै
अपने कर्म वचन ओर प्यार जगतको दे जाते है
….ओ यारो ले जाओ दीलका प्यार
मेरा तेरा रहे जाताहै होकर भी हो जाते है बेजान
मुझको पाना मुस्कील है जब दुनीयासे लगन रहे
तेराम्रेरा जब छुटताहै महेर प्रभुकी होजाती है अपार
बंधन सब छुटजाते है ओर मोह कही खो जाता है
….ओ यारो ले जाओ दीलका प्यार
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