December 27th 2008

संभलके रहेना

                          संभलके रहेना

ताः२७/१२/२००८                        प्रदीप ब्रह्मभट्ट

सुनो सुनो ओ यारो , आज ये मन कुछ कहेता है
तुम सुन शको तो सुनना, ये अपनापन बेगाना है
फिर भी रहेता ये दिवाना है  
                 ……. सुनो सुनो आज ये मन कुछ कहेता है
लकीर न देखी दीलकी, और प्यारकी ना कोइ सीडी
अपना मानके कहे दीया जो बादमे समझ ना पाया
भुलगया मै अपना और बेगाना साथ मेरे जो आया
                 …….. इसी लीये तो आज ये दील बेगाना है

समझ सका ना प्यार और दील वैसे ही दे दीया
लेकर लकडी प्यारकी ओयारो अपने पैर में खडा
ना कोइ साथ  रहा मेरे  जब दीलको मैने दे दीया
                      …….इसी लीये तो आज मै अकेला हु

नजरमीली तो समज नापाया दीलमेरा था पागल
दीलकी बाते दीलमें रखके प्यार से तुम संभलना
आगया प्यार कीसीका तुमपे लेकरसाथ नाचलना
              …….ओ यारो सबकुछ साथ समझके चलना.

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