प्रेमकी ज्योत
प्रेमकी ज्योत
ताः२१/३/२०१० (न्युजर्सी) प्रदीप ब्रह्मभट्ट
नाता है इन्सानका जहां प्यार ही मिलता है
मंझील दीलसे मीलती है जहां साथ होता है
……….नाता है इन्सानका जहां.
दीलभी अपना सोचभी अपनी,महेंक लेके आती है
कलकी बाते भुल जानेसे,खुशी भी मिल जाती है
लगन दीलसे जहां लग जाती,वहां महेंक आती है
लेनदेनमें प्यार पानेसे,ज्योत प्रेमकी जलजाती है
………नाता है इन्सानका जहां.
दीलदार बनेजो दुनीया में,उसे प्यार मील जाता है
उज्वल जीवन हो जानेमें,ना देर कहीं लग जाती है
प्यार मिले इन्सानो से,तब खुशी सामने आती है
लेकर महेंक भरे जीवनको,ये धरतीपर ले आते है
……….नाता है इन्सानका जहां.
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