ह्युस्टनकी शान
…………….देविकाबेन ध्रुव……………..
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. .ह्युस्टनकी शान
ताः२४/५/२०१५ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
हिन्दुस्तानकी पवित्र भाषा,हिन्दी ही कहेलाती है
ह्युस्टन आकर देवीकाबेनने,दुनीयाको समझाई है
….येही शान है कलमप्रेमीयोकी,लंडनमे बहेनका सन्मान हुआ.
निर्मळ जीवनके संग कलमप्रेम,ये माताकीक्रुपा है
मात्रु भाषाका प्रेम अनंत,ये कलमही उनकी देती है
मान अभिमानको दुर रखके,श्रध्धा संगही रखती है
येही निखालसता देवीकाबेनकी,सन्मानसे दिखती है
…..ये मा सरस्वतीका प्रेम है,जहां आशिर्वादकी गंगा बहेती है.
कलमप्रेमीओका हो सन्मान,येही ह्युस्टनकी शान है
पवित्रराह जीवनमे पाके,उज्वळताकी केडी चलते है
मात्रुभुमीकी क्रुपा मीलती,जहां परमात्माकी देन है
उज्वळ जीवन चलतेरहे,ये कलमप्रेमीओकी प्रीत है
…..सन्मानकी निर्मळगंगा वहेती रहे,येही हम सबकी आश है.
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. .श्रीमती देविकाबेन ह्युस्टनके कलमप्रेमीओका अभिमान है.हिन्दुस्तानकी
भाषा हिन्दीमें भी ज्योत जगाके उन्होने लंडनमें सन्मान पाया ये हम सबके
लीये गौरव है,ये ही यादके रूपमे ये काव्य देविकाबेनको सप्रेम भेंट.
ली.प्रदीप ब्रह्मभट्ट के साथ ह्युस्टनके कलमप्रेमीओकी याद.