खो गया दील
खो गया दील
३०/५/२००८ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
खो गया है दील खोज रहा हु कबसे
ना जाने गया कहां में ठुंठ रहा जबसे
ये कैसा मेरा दील जीसको पडी नही है मेरी
आज यहां कल कहां जा रहा है कलसे
दीलमे ना कोई पहेले आया था यहां
नाकोई थी मुलाकातके जीसमेवोखो जाये
आये आज अगरवो मिलने मेरे पास
पुछुगा में उसको भइखो गया क्युकबसे
हरपलमें खशथा जबवो पास था मेरे
अब कहीं चेननहीं ओर ना कोइ हैउमंग
पतझड अबहरपल है लगती सांजसवेरे
जबमिलजायेगा दिल चेन मिलेगा तबसे
अब आजा मेरे दील रहेना पाउगा मै
सोचके कलके बारेमे आज रो रहाहै दील
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