June 26th 2011

आखरी दीन

                         आखरी दीन

ताः२५/६/२०११                      प्रदीप ब्रह्मभट्ट

हर इन्सानके जीवनमें आताहै,एक बार आखरी दीन
करनीका फल मीलता है,चाहे ना मागे जीवनमें दील
                      ……….हर इन्सानके जीवनमें आता है.
जन्म मीले जब जीवको,उसे भई मृत्युसे क्या डरना
करनी वैसी ही भरनीहै जगमे,ना मोहमायाको रखना
आकर मीलतेहै जीवनमेंवो,जो जीवका होता है बंधन
आखरीदीन तो होताहैसबका,जन्म जीवका येहै संगम
                       ……….हर इन्सानके जीवनमें आता है.
संतानके अपनोके आतेहै,कईबार आखरी दीन जीवनमें
पढाइकी जब आजाये किनारी,मील जाता तब सन्मान
शादीकी केडी पर चढता संतान,तब हो जाता है संसारी
धनवान जीवनमें खोता है धन,हो जाये वो तब भीखारी
                       ………..हर इन्सानके जीवनमें आता है.

++++++++++++++++++++++++++++++++

No Comments »

No comments yet.

RSS feed for comments on this post. TrackBack URI

Leave a comment