मंझील
. .मंझील
ताः११/११/२०१२ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
यही तो मंझील है हमारी,जहां प्रेमसे आये है आज
कलमप्रेमीकी प्रीत न्यारी,ह्युस्टनमें पायी है साथ
. …………………..यही तो मंझील है हमारी.
निर्मळ भावना संगे रहेती,जहां मिले माताका प्यार
कलमकीकेडी उज्वळ बनती,जहां रहेती श्रध्धासाथ
प्रेरणा रहेती धडकनके संग,वहां कलमकीर्तीके संग
मोहमायाना कदी स्पर्शती,जहां निखालस होता मन
. …………………..यही तो मंझील है हमारी.
आये है सब प्रेमको लेके,कलम कविता भी चारो और
कुदरतकी ये असीमकृपा,जहां मिलजाते है प्रेमी लोक
अनंत प्रेमकी ये केडी है,कलम प्रेमीयोकी तो हैमंझील
मिले है दीलकी धडकनसे,उज्वळ होगा आजका दीन
. ……………………यही तो मंझील है हमारी.
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