ज्योत प्रेमकी
. . ज्योत प्रेमकी
ताः१०/३/२०१७ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
ज्योत प्रेमकी दीलमे आके,हमारेजीवनको चमकादे प्रेमकी गंगा वहेती जगमें,उज्वल जीवनसे जुडजाये ............येही राह मीलती दिलसे,जो जन्म सफल कर जाये. ममताका बंधन मातासे,और पिताका बंधन है प्रेम कर्मका बंधन जीवनसे है,जो आवनजावनसे देखाय क्रुपा प्रेम है परमात्माका,निर्मळ भक्तिसे मिलजाय अपेक्षाकी नाकेडी कोइ,जीवको सुखशांंतिमिलजाय ............येही राह मीलती दिलसे,जो जन्म सफल कर जाये. जलासांइकी क्रुपा निराली,निर्मळ राहसे मिल जाय पावन कर्मकी ज्योत प्रगटती,कर्म सफळ कर जाय आवन जावन है बंधन जीवका,जन्म मरण दे जाय मायामोह कायासे छुटे,जो जीवको मुक्तिराह देजाय ............येही राह मीलती दिलसे,जो जन्म सफल कर जाये.
====================================