वतन प्रेम
वतन प्रेम
ताः१/११/२००९ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
जन्ममीला जीस धरतीपे,मेरा उससे नाता है
पावन भुमी बनी रहे, ये सच्चा मेरा वादा है
……..जन्म मीला जीस धरती.
अवनीको अपनी बाहोंमे,परमात्माने ही रख्खी है
जन्ममीले जब धरतीपे,अलग अलग कहेलाते है
नातजातका येबचपन,इन्सानीयत को भरमाते है
समझ मीलेजब मानवको,प्यार प्रेम भर आते है
…….. जन्म मीला जीस धरती.
वतन है मेरा भारत,जीसपे रामकृष्णभी आये थे
पवित्र पावन धरती है,जहां रुषीमुनी मीलजाते थे
भक्तिप्रेमका बंधन न्यारा,जीवन पावन करजाता है
वंदन मेरी जन्मभुमीको,मेराजन्म सार्थककरना है
……..जन्म मीला जीस धरती.
कळीयुगकी ना कोइ चिंता,सुखदुःख संग रहेते है
वाळी वर्तन प्रेम भक्तिसे,वो मनको शांन्ति देतीहै
जीवनजीवकानाता पुराना,ना इन्सान समझपायेगा
भेदभावको छोड चले तब,वतन प्रेम मील जायेगा
………. जन्म मीला जीस धरती.
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