पाया तीर्थधाम
पाया तीर्थधाम
ताः१८/११/२००९ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
राम नाममे पाया जगमे, अडसठ तीर्थधाम
भक्तिभावकी सोनेरी किरणे,उज्वल मेरे काम
………रामनाममे पाया जगमे.
प्रभात पहोरकी कोमलताका, मिल जाये सहारा
शांन्तीमनमें आ जाती ओर भक्तिसे होता नाता
प्रभुप्रेमकी वर्षा होती,जीवको मील जाये किनारा
ना इच्छा ओर अपेक्षा,जब जलासांइ मील जाये
………रामनाममे पाया जगमे.
जन्म मीला अवनी पे,तब ना कोइ था किनारा
जीव जगतमें आया लेके,आसमानका ही सहारा
मंझील पाना हाथ तुम्हारे,भजनभक्ति है बटवारा
हाथ पसारे खडे जहां पर,संतका हो वहां इसारा
………रामनाममे पाया जगमे.
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