सबका मालीक
सबका मालीक
ताः२६/११/२००९ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
इन्सानी जीवनमें कभी धुप छांव आ जाती है
जब रहेमहो उपरवालेकी सबचिंता भागजाती है
………..इन्सानी जीवनमें कभी.
कर्मवचन ओर वाणीका इन्सानियतसे नाता है
जो समझ गयेहै उसको वो भक्तिमेंसुख पाते है
आनाजाना इस दुनीयामें कर्मोसे मील जाता है
सबका मालीक मीलजायेतो उज्वळजन्म होताहै
……….इन्सानी जीवनमें कभी.
करनी वैसी भरनी जगमें ना जगमें बच पाया है
भक्तिप्रेमका संदेशमीले तो प्रभुप्रीत मील जाती है
प्यारभरे इस संसारमें जव प्यार सभीका पाना है
श्रध्धाओरसबुरीमें जीवनमें प्रभुप्रेम मील जाता है
……..इन्सानी जीवनमें कभी.
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