कुदरतकी देन
. .कुदरतकी देन
ताः१९/१०/२०१३ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
सपनोमें ना खोना जगमें,सपने कदी नाहोते साकार
उज्वल प्रेमकी राह मीले,जहां श्रध्धा होती है अपार
. …………….सपनोमें ना खोना जगमे.
अवनीपरका आगमन ही है,जीवका कर्मोका संगाथ
कर्मका बंधन जीवसे है,ना कोइ रहे सकता निराधार
जहां ज्योत प्रेमकी जले दीलसे,हो जाते है सब काम
आकरमिले क्रुपा जलासांइकी,जहा भक्तिका हो साथ
. ……………..सपनोमें ना खोना जगमे.
जन्ममरणका नाता जीवको,जहांमानवता रहेती साथ
निर्मलताका संग रहे जीवनमें,वो ही कुदरतकी हे देन
परम क्रुपा हो जाये परमात्माकी,जन्मसफल हो जाये
जन्ममरणका नाता तुटे,श्रीजलासांइकी हो जाये रहेम
. …………………सपनोमें ना खोना जगमे.
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