लटक गया
लटक गया
ताः११-८-२००८. प्रदीप ब्रह्मभट्ट
लग गइ ठेस गीर गया में
जाने क्यु भटक गया मै
दिलमे तु लटक गइ क्यु
नखरे भी तु करती है क्यु
…………………….ओ जाने मन मेरा प्यार है तु हरपल
दील लीया प्यार दीया
प्यार लीया फीर दील दीया
खो गया मै भटक गया मै
बोलु क्या अब लटक गया मै
…………………..ओ जाने मन मेरा प्यार है तु हरपल
तेरी राह देखता हरपल
ना जाने क्यों खो जाता में
याद तेरी तसवीर बनी है
दीलसे ना अब भुल पाउ में
…………………….ओ जाने मन मेरा प्यार है तु हरपल
मेरी सांसोमें मेरी धडकनमें
याद मेरे ख्वाबोमें आती है.
कैसे मं भुल पाउ तुझको
अब नींद भी नही आती है
…………………….ओ जाने मन मेरा प्यार है तु हरपल
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