मेरे हाथ
मेरे हाथ
ताः४/८/२०१० प्रदीप ब्रह्मभट्ट
मेरे हाथ करते फुलोकीवर्षा,जहां प्यार ही मिलता है
बन जाते वो तलवार,जहां देशके दुश्मन दिखते है
…….मेरे हाथ करते फुलोकी वर्षा.
देता सच्चे दीलसे प्रेम,मेरादिल जहां खुश होता है
दोनो हाथ प्रसारके अपने,सारीखुशीयां बांट देता हुं
दीलमे जागे जोअरमान,उसे प्रभुप्रेम गिन लेता हुं
मिल जाये दिलसे प्यार जहां,मेरे हाथ पैर छुते है
……..मेरे हाथ करते फुलोकी वर्षा.
मानअपमान अभिमानको,जीवनमें समझ मै पाया
मानदेकर दिलसे बडोको,अपमानको मै दुर भगाता
अभिमान अपने वतनका करके,देशकी शान बढाता
जन्मलिया जीसधरतीपे,उसका रुण कदीना भुलना
………मेरे हाथ करते फुलोकी वर्षा.
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