दीलकी चाहत
दीलकी चाहत
ताः३०-८-२००८ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
सोच रहा था मनमे कुछ करके जाना है
प्यार महोब्बत भरके येजीवन जीना है
सबसे बांटके मनसे जीवनमे प्यारपानाहै
देकर सबको मनसे खुशहाल ही रहेना है
……..मुझे सबसे सच्चा प्यार पाना है
लेकर प्यार अपनोसे में खुशहाल रहेता हुं
बांटके प्यार दुसरोसे मुझे बेजान बनना है
अपनोसे अन्जान दुसरोको प्यारपीलाना है
दीलके अरमानोमे सबके अरमान मीलाना है
……मुझे जगमे सच्चा प्यार बहाना है
क्या लाया था मै लेकर क्या मै जाउंगा वहां
प्यारा सबका चहेरा खुशी देखके खुश रहेना
अपने तो सब प्यारे है दुसरे भी मेरे प्यारे
देकर प्यार देके अरमान प्यार निभाना है
…….मुझे दीलसे दील मीलाना है
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