खुरशीकी सलामती
खुरशीकी सलामती
ताः५/३/१०७४ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
हमतुम एक कमरेमे बंधहो, और चाबी खोजाय
तेरे कामोकी भुलभुलैयामें,सब चोरी छुप जाय
……हमतुम एक कमरेमे.
आगे हो नर्मदा योजना (बाबा मुझे डरलगताहै)
पीछे हो सरकार विसर्जन(हं मुझे क्युडरा रहेहो)
हम ही क्यो पर उससे डरेंगे….(२)
हमतुम एक रस्तेसे गुजरे और पुलीस आजाय.
……हमतुम एक कमरेमे.
हमपेकोइ दमनकरेतो,उसको क्योहम जींदाहीछोडे
चाहेंगे हम लोकशाही,हो जाये हम युही अपराधी
चाहे कोइ नेता हो या पुलीस…(२)
हम तुम सामने ही रहेंगे,और चोर भाग जाय.
……हमतुम एक कमरेमे.
जीयेंगे हम कैसे रहेगे,जायेंगे नहींतो क्या करेंगे
क्याहोगा कलचुंटणीहोजाये,झुठेकाकोइकामनाआये
सोचो कभी हमही आ जाये..(२)
तुमको मै राही कहुंगा,साथ मेरे तुम आ जाना
……हमतुम एक कमरेमे.
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