जीवन नैया
…………………….. जीवन नैया
ताः२३-७-१९७२………………… प्रदीप ब्रह्मभट्ट
हे राम हे कृष्ण, मेरी ये तृष्णा
जीवननैया पार लगा दो, बीन दुःख हैये चैन
…………………………………. ……..हे राम हे कृष्ण
तुमरे बीननहीं और खिवैया,बीन लागेनहीं चैन
आती जाती हर सांसोमे, तुमरे बीनमेरा कौन
………. ……..हे राम हे कृष्ण
बीच सागरमें डोले नैया, सुखदुःख देखे नैन
संसारके चक्कर में, डोले जीवनकी ये नैया
……….. ……..हे राम हे कृष्ण
कौनसे मेरेदोष थेजीसने जीवनआज दीलाया
ना कोइ तो कामथा मेरा जो जीवन बहेकादे
………… …….हे राम हे कृष्ण
तुमसेआके मागुंमैतो जीवनमें नारहेकोइ व्हेम
परदीप बनके दीप जलाउ, मीले जीवनमे प्रेम
………… ……..हे राम हे कृष्ण
श्रीराम श्रीकृष्ण श्रीराम श्रीकृष्ण श्रीराम श्रीकृष्ण