हमारा कौन
हमारा कौन
ताः९/२/२०१० प्रदीप ब्रह्मभट्ट
दुनीया तो एकचाहत है,जहां जीवको आना पडता है
कर्मके ये चक्करमे है आते,वो धरतीपे आ जाते है
                         …….दुनीया तो एक चाहत है.
मोह मायाका बंधन है ऐसा,जो जीव समझना पाये
लग जाता वो नाता जीवसे,जो जन्म साथ ले आये
जन्म जीवका ये नाता है,जीसको परमात्माही जाने
आना जाना हाथमें अपने,ना कोइ अपना या पराया
                        ……….दुनीया तो एक चाहत है.
प्रेम भावनाकी ये मंझील है,जहां जीवको मीलना है
सामने जब  आती है राहे,संभल संभल कर चलना
मीलती है जब प्रेमकी ज्योत,जन्म सफल हो जाता
आकर जी लेना यहां दीलसे,फीर कल नहीं है आना
                           ………दुनीया तो एकचाहत है.
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