शहीद
शहीद
ताः२६/१/२०१० प्रदीप ब्रह्मभट्ट
सरहद पे लड रहे थे, वो थे देशके सिपाही
शान देशकी बन रहे थे,वो गोलीके शिकारी
………..सरहद पे लड रहे थे.
रातदीन वो लड रहे थे,जैसे वादा कीया धरतीसे
ना परवा अपनोकी करते,सिर्फ कर्म अपना देखे
जीना मरना हाथमें रखते,प्यार वो भारतसे करते
वो शहीद होगये धरतीपे,पावन कर्म अपना करके
……….सरहद पे लड रहे थे.
इन्सान बनके जीनाहै,कुरबानी लेकर अपने दीलमें
पत्थर बनके खडेथे,जहां इंटका आये कोइ निशान
अपनी कायाको समर्पित करके,देते सलाम दीलसे
लाकर आझादी दी देशको,वो खुशीसे शहीद हुए थे
………सरहद पे लड रहे थे.
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