खाली हाथ
. खाली हाथ
ताः१/९/२०११ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
खाली हाथ तु आया है,और खाली हाथ ही जायेगा
मोहमायाका छोड दे बंधन,र्स्वगीय सुखतु पायेगा
. ………..खाली हाथ तु आया है.
आया जब तु अवनीपर,तेरे देहकोथी माबापकी माया
शाम सबेरे गोदमें रहेता,उआ उआ कर दीनको खोता
निर्मळ प्रेम की ज्योत मिलती,तबतक शांन्ति होती
दीन बदीन हो कृपा प्रभुकी,उज्वल राह भी मिलती
. …………खाली हाथ तु आया है.
कर्मबंधन जगमें है निराले,जहां प्रेम भावना ही होती
अंतरकी अभिलाषा मिलती,जहां महेनत साथ रहेती
उज्वळ्ताकी मिलतीकेडी,संत जलासांइकी कृपाहोती
आकर प्यार सबका मिलता,वहां सुख संपत्ति रहेती
. ……….. खाली हाथ तु आया है.
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