जगके संबंध
. जगके संबंध
ताः२९/७/२०११ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
ना कोइ है मेरा जगमें,और नाकोइ है पराया भी
जगके संबंध है देहके,मृत्यु पामके छुट जाते भी
.                         …………. ना कोइ है मेरा जगमें.
प्रेमभावकी ज्योतजले,जहां निर्मळ भावना जागे
अंतरमे जब स्नेह जागे,जगके सब जीव ये मागे
कृपाकरते है गीरधारी,जहां जीवकी भक्ति न्यारी
आकर शांन्ति मनको दे,दे जीवको जगसे मुक्ति
कृपा प्रेमकी होगी प्रभुसे,आशीर्वादकी गंगा बहेगी
.                          ………….ना कोइ है मेरा जगमें.
बंधहो जाते जगकेनाते,जहां भक्तिराहमील जाती
रामनामके एक रटणसे,मुक्तिद्वार भी खुल जाते
मोहमायाका छुटे बंधन,मीले भक्तिभावका सागर
और अपेक्षा दुरहीरहेती,येहीमिलती जीवको शक्ति
वाळी वर्तन सब छुट जाते,ना कभीभी बीचमे आते
.                        …………. ना कोइ है मेरा जगमें.
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