श्रध्धा और विश्वास
श्रध्धा और विश्वास
ताः२८/८/२००९ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
श्रध्धामें लगन रहे और रहेममें हो विश्वास
बाबा आके प्यारदो, मुझे भक्ति मीले अपार
……..श्रध्धामें लगन रहे.
रामनामसे नाता जोडा, और श्रध्धामें सबुरी
मीला मानवजीवन अब,ना भक्ति रहे अधुरी
पाना है प्यार तुम्हारा, दे जाना मुझे पलवार
राह देखते खडा द्वारपे,आ जाना सबसे पहेले
………श्रध्धामें लगन रहे.
मेरे प्यारमे भावना है, और प्यार रामका पाना
करु रटण भक्तिप्रेमसे,साथमें जलारामको लाना
जन्मजीवका उज्वलकरना,जीवन चलता झरना
निर्मलप्रेम देना बाबा,साथमें प्रभुप्यारको लाना
……….श्रध्धामें लगन रहे.
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