अनजानी राहे
अनजानी राहे
ताः२/१/२०१० प्रदीप ब्रह्मभट्ट
अनजानीसी राहो पर, पड गये जो तेरे कदम
भुलेभटकोसे मील जानेसे,मील जायेगा भरम
……..अनजानीसी राहो पर.
मंझील पाना मुश्कीलहै,जब राह मील ना पाये
कदम कदमपे बचके चलना,ना साथ कोइ आये
हिंमतमहेनत करते रहेना,कदम संभलके चलना
मंझील कोइ पासकीसीके,लगनसे मील वो जाती
……….अनजानीसी राहो पर.
स्नेह प्रेमसे भरे ये जगमें,प्यार अगर पाना हो
सतकीराह जो पकडीतुने,सबसे तु मील पायेगा
अनजानेसे लोगोमें रहेके,पहेचान तु पा जायेगा
आकरराहे मीले मंझीलसे,ना अनजानी कोइ रहे
……..अनजानीसी राहो पर.
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