दर पे आया
. दर पे आया
ताः९/७/२०११ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
सांइ तेरे में दर पे आया,लेकर श्रध्धा और सबुरी
उज्वळ जीवन करही देना,नामाग रहे कोइ अधुरी
………..सांइ तेरे में दर पे आया.
भक्ति जीवके संग ही रखना,मोह माया दुर रखना
प्रेमसे भरना जीवन झोली,ना माग रहे कोइ मेरी
प्यार सच्चा दीलसे ही देना,नारहे उसमें कोइ देरी
मनको श्रध्धाऔर विश्वास मिले,नारहे उसमे अधुरी
…………सांइ तेरे में दर पे आया.
दीलमे रहेना प्रदीपके सदा,और रमाको साथ रखना
रविको देना प्रेम दादाका,दीपल निशीतको संभालना
शरण तुम्हारी आतेहै बाबा,उज्वळ राह हमको देना
जन्ममरणका छुटे बंधन,मुक्तिमे साथ सदाही रहेना
…………सांइ तेरे में दर पे आया.
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