सदा रहे मेरे पासा
सदा रहे मेरे पासा
ताः३०/१/२००९ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
तेरे द्वारपे आया हु मुझे करलो तुम स्वीकार
तनमन से समर्पण मै, जीवनमे दे दो प्यार
………. तेरे द्वार पे आया हु
जगजीवनमे रहेता मोह, तुमकरदो मुझसे दुर
भक्तिमे लगादो मन, भर दो जीवनमें भरपुर
मनमे मोह रहे नाकुछ,पा जाउ मनमें उमंग
रहेना संगमेरे हरपल, पावन हो जाये जीवन
………. तेरे द्वार पे आया हु
लगन लगीहै मनमे, पाउ तुमरी चरनकी धुल
रटणरहे सदा मनमे,जीससे पावनहो ये जन्म
जबजीव मीले मुक्तिसे,पाये चरणकमल प्रभुके
अंतरकी एकअभिलाषा,सांइ सदा रहेमेरे पासा
………. तेरे द्वार पे आया हु
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