हम सफर
हम सफर
ताः१६/१/२००९ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
हम सफर बनके चले तो जींदगी है खुशहाल
साथ तेरा जींदगी भरका हम कैसे रहे बेहाल
सजनीप्यार तेरा बेमीशाल
जीसपे दीलमेरा है कुरबान
……. हम सफर बनके चले
अपनी नाकोइ सोच जीसपे दिलतेरा थोडाखचके
चाल तेरी जबभी देखु दील मेरा तब लगे डोले
महेंके जीवन मेरा आज
संगे मेरे मेरा हो दिलदार
……. हम सफर बनके चले
ना अपनी कोइ पहेचानथी भटक रहे थे हम
तुने दिलको थाम लीया साथी बने अब तुम
प्यारकी राह तुने दीखलायी
मुस्कुरा रहा मेरा जीवन
……. हम सफर बनके चले
तुने आकर मेरेजीवनकी दोर पकडली दीलसे
समजना पाया संसारीजीवन महेकरहाजोतुमसे
वक्त नही अब पासही मेरे
तेरे संग जीवन मेरा जुडा
……. हम सफर बनके चले
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