मेरे सांइ
मेरे सांइ
ताः७/१/२००९ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
मेरे सांइ मेरे सांइ रटते रटते मैने प्रेमकी ज्योत पाइ
मनकी हर मुरादे पाइ मैने जहा भक्तिमे प्रीत लगाइ
………मेरे सांइ मेरे सांइ
अंतरमे आनंद उभरे और दीलमे नारहे कोइ अरमान
साईनामको जपके મૈने जगमे मोहमायाको दुरभगाये
मिल गया सब मुझको जो अरमान प्रभुसे मैने पाये
………मेरे सांइ मेरे सांइ
परमपिताका प्यार ही मुझको सांइभजनसे मिलगया
जगमे ना मुझे मोह रहा ओर ममतानी नाखोट रही
जींदगी मेरी जुडी सांइसे हरपल मुझको मीली खुशी
………मेरे सांइ मेरे सांइ
ना अभिलाषा ओर ना अरमान मेरे कोइ रहे जगमे
प्यार पाया पावनकारीका जहां नामोह कहींभी द्वेषरहे
मिल गया सब मुझको जो अरमान प्रभुसे मैने पाये
………मेरे सांइ मेरे सांइ
परमपिताका प्यार ही मुझको सांइभजनसे मिलगया
जगमे ना मुझे मोह रहा ओर ममतानी नाखोट रही
जींदगी मेरी जुडी सांइसे हरपल मुझको मीली खुशी
………मेरे सांइ मेरे सांइ
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