सबके बाप
सबके बाप
ताः२५/१/२००९ प्रदीप ब्रह्मभट्ट्
एक दो तीन चार, सब मील जाओ मेरे यार
कोइ कुछनहीं कर पायेगा,हम होंगे सबकेबाप
……….एक दो तीन चार
दो हाथसे होता जो काम,महेनतका उसमे हैसाथ
दोस्तोका मील जाये हाथ, पुरा हो सपनोके साथ
सच्चे दीलसे साथ रहे,वहां अपनोका सन्मान रहे
प्यार महोब्बत पाकर भी,खुशी जीवनमें आयेगी
……….एक दो तीन चार
सोचसमझके कदम चले, साथ सभी चल आयेगे
दुःखकीछाया दुर रहेगी, जीवनमे सुख भर जायेगी
साथ सभीका जब मीले, महेंक सभी ले पायेगे
एकता जीसके साथ रहे, नाम जगमें उसका रहे
……….एक दो तीन चार
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