प्यार चाहीए
प्यार चाहीए
ताः१९/१२/२००९ प्रदीप ब्रह्मभट्
जींदगीके हर कदमपें हमें मुश्कान मिलती ह
दीलसे लेलो प्यार जहां,तब मंझील दीखती है
………..जींदगीकी हर कदमपें.
जीवनकी हरपलमें भी, सोचसंभलके चलना है
आंधीऔर तुफानमेंभी,हमे मंझीलपाके रहेना है
धर्म कर्मकी राहों पे,मुझे भक्ति जीवन पाना है
सच्चाइके सहारे मे,अब पावन जीवन करना है
……… जींदगीके हर कदम.
कलीयुगकी एक लहेरमें,बीखरा है प्यारा संसार
महेंक जीवनकी चलीगइ,जो उज्वलप्रेम लाइथी
आइ एकलहेर जींदगीमें,जीसमें खुशीओकाभंडार
मीलजाये सच्चाप्यार होजाये जीवनमें मुश्कान
……….जींदगीके हर कदम
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