January 8th 2022
. .दीलकी ज्योत
ताः८/१/२०२२ प्रदीप ब्रह्मभट्ट
पवित्रक्रुपा मीली परमात्माकी मानवदेहको,जो जीवनमे सुखमील जाता हे
पावनराहसे जीवनजीनेसे देहको शांंतिमीलतीहे,ना कोइ अपेक्षा अडती हे
.....ये भगवानकी क्रुपासे जीवनमे मीलती हे,जिससे दीलकी ज्योत प्रगटती हे.
मानवदेहही प्रभुकीक्रुपाहे जीवपर,जो जगतपर अनेकदेहको समझदेते हे
जीवनमे देहको पवित्रराह मीले,जहां श्रध्धासेघरमे भगवानकी पुंजाकरतेहे
मोहमाया तो मीलती हे मानवदेहको,जो जीवको समयकेसाथ लेजाती हे
जीवको मीले हुए गतजन्मके देहके कर्मसे,अवनीपर जन्ममरण मीलताहे
.....ये भगवानकी क्रुपासे जीवनमे मीलती हे,जिससे दीलकी ज्योत प्रगटती हे.
मानवदेहके जीवनमे पवित्रराह मीलतीहे,जो देहको समयकीसमझ देतीहे
जीवको मानवदेह मळे धरतीपर,जो प्राणीपशुजानवरऔर पक्षीसेबचाती हे
येही प्रेमकी क्रुपाहे परमात्माकी जीवपर,जो मानवदेहसे जीवको देती हे
अवनीपरके जीवके आगमनसे समझ मीलतीहे,ये प्रभुकीक्रुपासे होती हे
.....ये भगवानकी क्रुपासे जीवनमे मीलती हे,जिससे दीलकी ज्योत प्रगटती हे.
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